डॉ.सोना सिंह
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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माना कि घर में दो ही हैं,
जरूरतें उनकी सीमित हैं।
नहीं घूमते घर के सभी कमरों में वो दोनों,
रसोई से लेकर खाने की थाली
आ बैठते हैं बैठक में वो दोनों।
माना कि घर में दो ही हैं-
दरकार उनकी है नहीं,
महंगे कपड़े-लत्ते-बर्तन
और साजो सिंगार के सामान।
दो गिलास और एक बोतल,
लेकर वो बैठ जाते हैं एक तख्त पर।
माना कि घर में दो ही हैं-
मांग उनकी है नहीं,
काजू,पनीर और पकवानों की।
दाल-रोटी को प्याज के साथ
खा लेते हैं दोनों।
माना कि घर में दो ही हैं-
स्वप्न उनके हैं नहीं,
धन,धान्य और साम्राज्य के।
साथ की अभिलाषा में,
जाग लेते हैं रात में।
माना कि घर में दो ही हैं-
इच्छा उनकी है नहीं,
लालसा,आकांक्षा,प्राप्ति कीl
पूर्णता और संतुष्टि की,
चादर ओढ़ कर सो लेते हैंl
माना कि घर में दो ही हैं…ll
परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैl संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंl यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।