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दर्द भी है,तरकीबें भी

कविता जयेश पनोत
ठाणे(महाराष्ट्र)
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दर्द भी है जिन्दगी में,
तकलीफें भी हैं
तकलीफों से लड़ जाने की,
तरकीबें भी हैं।

सख्त है अगर वक्त तो,
उसकी वजह भी है
बह जाने दो आँसूओं को,
कह जाने दो क्या कहना है
लेकिन यूँ मायूस हो,
नहीं रहना है।

जिन्दगी भी हमारी है,
हम ही इसके खिलाड़ी हैं
हार या जीत,
खुशियाँ या गम का संगीत…
हमें ही फैसला ये करना है।

निराश न हो भरोसा रख खुद पर,
क्योंकि हौंसले से ही तो मुश्किलें हारी हैं
चल उठ अब मुस्कुरा दे,
अब पकड़ डोर अपने जीवन रथ की।
बन अर्जुन इस कुरुक्षेत्र में,
अब पराक्रम दिखाने की बारी है॥

परिचय-कविता जयेश पनोत का बसेरा महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई स्थित खारकर अली रोड पर है। १ फरवरी १९८४ को क्षिप्रा (देवास-मप्र)में जन्मीं कविता का स्थाई निवास मुम्बई ही है। आपको हिन्दी,इंग्लिश, गुजराती सहित मालवी भाषा का ज्ञान भी है। जिला-ठाणे वासी कविता पनोत ने बीएससी (नर्सिंग-इंदौर,म.प्र.)की शिक्षा हासिल की है। आपका कार्य क्षेत्र-नर्स एवं नर्सिंग प्राध्यापक का रहा,जबकि वर्तमान में गृहिणी हैं। लेखन विधा-कविता एवं किसी भी विषय पर आलेखन है। १९९७ से लेखन में रत कविता पनोत की रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। फिलहाल स्वयं की किताब पर काम जारी है। श्रीमती पनोत के लेखन का उद्देश्य-इस रास्ते अपने-आपसे जुड़े रहना व हिन्दी साहित्य की सेवा करना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक,कोई एक नहीं, सब अपनी अलग विशेषता रखते हैं। लेखन से जन जागरूकता की पक्षधर कविता पनोत के देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
‘मैं भारत देश की बेटी हूँ,
हिन्दी मेरी राष्ट्र भाषा
हिन्दी मेरी मातृ भाषा,
हिन्द प्रचारक बन चलो,
कुछ सहयोग हम भी बाँटें।