एक स्वेटर

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)**************************************** सुनो तुमकोरोना की इस आँधी में,जहाँ मौसम का नहीं ठिकाना।कभी आँसूओं की बारिश है,कभी अपनों से बिछोह की तपिश।कभी स्वांसों की शिथिलता,और ठिठुरनअनिश्चित है अब ज़िन्दगी का…

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तू ही तो मेरी जिंदगी

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)************************************************** तू ही तो मेरी जिन्दगी का राग है,तू ही अगन में शीत-सातू ही तो अंधेरों में उजाला है,तू ही मेरी जिन्दगी के जश्न कामधुर मय से भरा…

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बापू के नाम एक खत…

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)*************************************************** गांधी जयंती विशेष………….. बापू! मैं तुमको खत लिखती,पर पता मुझे मालूम नहीं।किस गाँव,नगर या शहर लिखूं,मैं कहां लिखूं ? मालूम नहीं। बापू! आपके तीनों बंदर,भूल गए हैं…

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इंसनियत तो सब भेदों से परे

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** सत्य,अहिंसा,दया,करुणा,प्रेम,शान्ति,त्याग का वृक्ष है।जिस वृक्ष की शाखाएं इन फलोंसे लदी,वो ही हकीकत में इन्सान है।वरना तो चोला इन्सानों-सा पहन,दिल में दबा नफरत औऱ द्वेष की चाहफिरते हैं…

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दर्द भी है,तरकीबें भी

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** दर्द भी है जिन्दगी में,तकलीफें भी हैंतकलीफों से लड़ जाने की,तरकीबें भी हैं। सख्त है अगर वक्त तो,उसकी वजह भी हैबह जाने दो आँसूओं को,कह जाने दो…

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खामोशियों की भी एक कहानी…

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** मेरी खामोशियों की भी एक कहानी है,जो किताबों में भी ना सिमट पाईऐसा तरल वह,नदियों का पानी है।समेटूँ बैठ कर फुर्सत में उन पलों को तो,आँखों से…

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मैं और मेरे घर की खिड़कियाँ

कविता जयेश पनोतठाणे(महाराष्ट्र)********************************************************** ये खिड़कियाँ,और खिड़कियों से झांकतेवो शाम के नजारे।कुछ खास रिश्ता है हमारे बीच,सांझ होते ही मेरे मन कीहलचल उस खिड़की से आती,हवा संग तालमेल मिला जाती है।हर…

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हाँ,मैं लौट जाना चाहती हूँ

कविता जयेश पनोत ठाणे(महाराष्ट्र) ********************************************************** लौट जाना चाहती हूँ कहीं दूर उस नीले आकाश तले, जिसकी छाया तले मैं अपने भावों को ऊपर उठता देख सकूँ। लौट जाना चाहती हूँ…

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जियो बनकर मिसाल

कविता जयेश पनोत ठाणे(महाराष्ट्र) ********************************************************** जग में जियो बनकर मिसाल, की दुनिया तुम्हे याद करे तुम रहो न रहो इस जहाँ में, तुम्हारे आदर्शो की बुनियाद रहे। करो न कोई…

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