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कृष्णा प्रेम की बाँसुरी

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’
पंडरिया (छत्तीसगढ़)
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माखन मुख लिपटा हुआ,मैया पकड़े कान।
बाल रूप है कृष्ण का,करे सभी सम्मानll

बैठे कदम्ब पेड़ पर,करे राधिका तंग।
सुना रहे मुरली मधुर,बैठ गोपियों संगll

कृष्ण प्रेम की बाँसुरी,है राधा के नाम।
पावन सच्चा प्रेम है,जैसे चारों धामll

गीत प्रेम के गा रहे,सारे मिलकर आज।
दौड़ी आई राधिका,छोड़े सारे काजll

धड़कन में है राधिका,नस-नस में है प्रीत।
वृन्दावन में गूँजता,कृष्णा का संगीतll

भोली-भाली राधिका,पनियाँ भरने जाय।
छेड़े मोहन राह में,गोपी भी शरमायll

राधा बैठी राह में,करे कृष्ण की आस।
ठगा हमारे चित्त को,कैसे करूँ विश्वासll

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