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आजादी

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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महाविद्यालय में जोर-शोर से स्वंतत्रता दिवस की तैयारी चल रही थी। हरे रंग के कालीन बिछा जा रहे थे। पूरे परिसर को सुंदर रंग-बिरंगी झंडियों से सजाया जा रहा था।
सभी प्राध्यापक सफेद पोशाकों में नजर आ रहे थे,तो कुछ महिला प्राध्यापक हरे केशरिया रंग में भी सुशोभित हो रही थीं। तभी मेरी नजर मांगीलाल भैया पर गयीं,जो महाविद्यालय में सफ़ाई का काम करते हैं।
“अरेे-भैया आज तो आप बहुत अच्छे लग रहे हो,सफेद शर्ट में और आज तो शर्टिंग भी की। बहुत बढ़िया।”
“हाँ मैडम जी,आज हमारे देश का बड़ा त्यौहार है,आज तो हम आजाद हुए थे।”
तभी ट्रिन-ट्रिन की आवाज आयी,शायद प्राचार्या ने बुलाया-मांगीलाल भैया दौड़ कर अंदर गये। मैंने देखा-बाहर आये तो उनका मुँह मुरझाया हुआ था। साथ वाले सहकर्मी से बोल रहे थे-“मैडम ने मुझे बहुत डांट लगायी-बोली सर्टिंग क्यों की ? यह बेल्ट लगाने की क्या जरूरत है! मैनेजमेंट क्या सोचेगा,तुम उनकी बराबरी कर रहे हो। छोटे आदमी हो,छोटे रहो।”
मांगीलाल ने अपनी शर्टिंग हटाई,नीली पुरानी शर्ट पहनी और पानी की ट्रे उठाते हुए बोला-“अपनी काहे की आजादी! अपन तो आज भी गुलाम जैसे ही हैं। हुकुम ही बजाना है मैडम का,नहीं तो नौकरी चली जाएगी…।”

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।