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हिंदी मेरी शान

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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हिंदी दिवस विशेष…..

कहानी इसकी पुरानी,
हिंदी मेरे देश की रानी।
संस्कृत की लाड़ली बेटी हिंदी,
सभी बहनों को साथ लेती हिंदी॥

लिपि इसकी है अति सुंदर,
साहित्य का असीम सागर।
कोयल की वाणी है हिंदी,
भाषाओं की शिरोमणि हिंदी॥

अलंकार,रस,छंद से परिपूर्ण है,
कबीर,तुलसी साहित्य से अनुपम है।
स्वर,व्यंजनों से परिनिष्ठित माला,
उच्च कोटि का अर्थ देती निराला॥

रोम-रोम में है समाई,
मन मंदिर में है छाई।
जन-जन की भाषा हिन्दी,
एकता की अनुपम डोर हिंदी॥

माँ भारती के माथे की बिंदी ,
भारत के बाग-बहार है हिंदी।
हिंदी भाषा है हमारी शान,
करो सभी इसका सम्मान॥

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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