कुल पृष्ठ दर्शन : 274

You are currently viewing पत्थर न होता आदमी

पत्थर न होता आदमी

प्रिया सिंह
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)

*******************************************************

हार कर गर्दिश से चश्मे-तर न होता आदमी,
तब समंदर में खरा जौहर न होता आदमी।

इल्म होता ग़र उसे इखलास और ईमान का,
मज़हबों के नाम पर कट्टर न होता आदमी।

आइना रखता अगर अपनी नज़र के रूबरू,
फिर किसी के सामने पत्थर न होता आदमी।

ख़्वाहिशें सस्ती जो होती हर तरफ बाजार में,
फिर किसी दरबार का नौकर न होता आदमी।

नफरतों के दौर में रहबर नहीं मिलता अगर,
इश्क के जज्बात का पैकर न होता आदमी॥

परिचय-प्रिया सिंह का बसेरा उत्तरप्रदेश के लखनऊ में है। २ जून १९९६ को लखनऊ में जन्मी एवं वर्तमान-स्थाई पता भी यही है। हिंदी भाषा जानने वाली प्रिया सिंह ने लखनऊ से ही कला में स्नातक किया है। इनका कार्यक्षेत्र-नौकरी(निजी)है। लेखन विधा-ग़ज़ल तथ कविता है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन-जन को जागरूक करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा को मानने वाली प्रिया सिंह देश के लिए हिंदी भाषा को आवश्यक मानती हैं।

Leave a Reply