बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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प्रेम रंग में डूब कर,राधा मन मुस्काय।
हुई बावरी नाचती,सुध अपनी बिसरायll
प्रेम मूर्ति अवतार है,नंद यशोदा लाल।
आओ करें अराधना,बंसीवट गोपालll
हाथ दंड कम्बल लिए,गाय चराते श्याम।
संग सखा बलराम भी,वृन्दावन ब्रजधामll
मुरलीधर मुरली सुना,तरसूँ सुबहो शाम।
तेरे बिन सूना यहाँ,है अनाथ ब्रजधामll
करूँ प्रणाम कर जोर कर,हे प्रभु दीन दयाल।
वास हृदय में कीजिये,आओ हे बृजलालll
आओ अब बृजलाल तुम,मेरे तारणहार।
बीच भँवर मझधार से,नैया करने पारll
पीत वसन काँधे सजे,मोर मुकुट सिर धार।
वैजंती माला सुघड़,अद्भुत है श्रृंगारll
श्याम बरन राधा रमण,प्रेम रसिक ब्रजनंद।
रूप अलौकिक भा गयो,हर्षित मुख सुखचंदll
मुरली मोहन मुख मधुर,मोहित जग संसार।
सकल चराचर जीव हैं,चरणों में करतारll
मातु यशोदा देवकी,धन्य हुआ संसार।
जग की रक्षा के लिए,राम श्याम अवतारll