कुल पृष्ठ दर्शन : 399

You are currently viewing मृदुला सिन्हा थीं महान इंसान और साहित्यकार

मृदुला सिन्हा थीं महान इंसान और साहित्यकार

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

***************************************************

राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष,सुप्रसिध्द साहित्यकार,समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्ष व गोवा की पूर्व राज्यपाल मृदुला सिन्हा जितनी सशक्त लेखिका थीं,जितनी मानवाधिकारवादी थीं,उतनी ही श्रेष्ठ वे संस्कृति प्रेमी भी थीं। सरल,विनम्र,व्यवहारकुशल,मिलनसार, निरभिमानी मृदुला जी वास्तविक अंशों में राष्ट्रवादी थींl वे अत्यंत सहज व सामाजिक सरोकारों-मानवीय मूल्यों से अनुप्राणित थींl देश,समाज, संस्कार व राष्ट्र उनकी आत्मा में बसते थेl
मृदुला जी को पढ़ता तो बहुत रहा था,पर पहली बार उनसे मिलने का अवसर कोटा (राजस्थान) में अखिल भारतीय साहित्यकार परिषद के २००८ के प्रांतीय अधिवेशन में हुआ था,जिसमें वे परिषद के प्रांतीय अध्यक्ष मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ के निमंत्रण पर मुख्य अतिथि की हैसियत से पधारी थीं,और मुझे अपनी श्रेष्ठ निबंध कृति विवेचना के स्वर के लिए पुरस्कार मिलना,तथा नारी मुक्ति विमर्श पर व्याख्यान भी देना थाl मैं यह सुअवसर पाकर गौरवान्वित हुआ थाl तब मृदुला जी का सभी प्रतिभागियों,कवियों-लेखकों से अत्यंत उत्साह से मिलना सभी को उल्लासित कर गया थाl
उस दो दिवसीय समारोह में मृदुला जी का अत्यंत नपा-तुला,सारगर्भित व सकारात्मक व्याख्यान सभी के व्दारा व्यापक रूप में सराहा गया थाl उन्होंने स्त्री-पुरुष दोनों के सामंजस्य व समन्वय की बात कहकर सभी को प्रभावित किया थाl यह यथार्थ है कि,सजग साहित्यकार सदैव जोड़ने वाली बात करता हैl उसके उपरांत २०१० में भोपाल में मध्यप्रदेश लेखिका संघ के वार्षिक समारोह में उनसे मिलना हुआ थाl इसमें भी मेरी उसी कृति को फिर पुरस्कृत किया गयाl इस बार संघ की प्रांतीय अध्यक्ष उषा जायसवाल के आमंत्रण पर मृदुला जी फिर तशरीफ लाई थींl उनके साथ मंच पर सुपरिचित कथाकार मालती जोशी भी उपस्थित थींl समारोह में भी मृदुला जी का साहित्य की वर्तमान दशा-दिशा पर दिया गया शोधपरक व्याख्यान इतना अधिक उत्कृष्ट व विशिष्ट था कि, सभी को मंत्रमुग्ध-सा कर दिया थाl
अनेक सामाजिक कार्यों को सफलतापूर्वक अंज़ाम देने वालीं मदुला जी अनेक श्रेष्ठ व लोकप्रिय कृतियों की सृजक भी हैं। उन्होंने जिस प्रखर राष्ट्रवादिता का परिचय दिया है,वह उनके व्यक्तित्व को स्वनामधन्य बनाता है।
गोवा की राज्यपाल के रूप में उन्होंने साहित्य व संस्कृति के उत्थान के लिए जो कुछ किया है,वह गहन अभिनंदनीय व अभिवंदनीय है।
मृदुला सिन्हा जी की विशेषता यही थी,कि वे मौलिकता से परिपूर्ण थींl वे अध्येता थीं,इसीलिए ज्ञाता भी थीं,विदुषी थीं,पर वे बहुत ही सुलझी हुई इंसान थीं। वे सहजता में आमंत्रण स्वीकार कर लेती थीं,तथा सरल पर सारगर्भित तरीके से मीठी वाणी में दृढ़तापूर्वक तथ्यों का विवेचनात्मक प्रस्तुतिकरण करके कुछ न कुछ नया उद्घाटित करती थींl
यद्यपि यह महान व्यक्तित्व अब हमारे मध्य नहीं है,पर अपनी प्रखरता,विशिष्टता,गुणधर्मिता,यशस्विता से आज भी वे हमारे मध्य हैं,और सदा रहेंगी। मृदुला सिन्हा के हिमालयीन व्यक्तित्व व पुण्य स्मृति को कोटि-कोटि नमन् व श्रद्धा सुमन समर्पित।

परिचय-प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply