कुल पृष्ठ दर्शन : 169

You are currently viewing कहाँ गायब हुए विवेकानंद भट्टाचार्य…

कहाँ गायब हुए विवेकानंद भट्टाचार्य…

प्रो. अमरनाथ
कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)
******************************************

पश्चिम बंग हिन्दी अकादमी का पुनर्गठन हुआ है। इसके लिए ममता बनर्जी की सरकार ने ५ करोड़ की धनराशि भी निर्धारित की है। ऐसे में मुझे २ दशक पहले की एक घटना याद आ रही है-उस समय वाम मोर्चे की सरकार थी। अकादमी सक्रिय थी,किन्तु उसकी गतिविधियों से मैं संतुष्ट नहीं था। अकादमी के अध्यक्ष मुख्यमंत्री ज्योति बसु थे और उपाध्यक्ष तत्कालीन शिक्षा मंत्री सत्यसाधन चक्रवर्ती। बैठकों का नियमित न हो पाना भी एक समस्या थी। बैठकों के लिए उपाध्यक्ष का समय निकालना ही कठिन था।
अकादमी में रहते हुए अकादमी की गतिविधियों का विरोध एक सीमा तक ही किया जा सकता था। तब मैंने अकादमी की गतिविधियों पर अपना असंतोष व्यक्त करने का एक रास्ता निकाला। विवेकानंद भट्टाचार्य के छद्म नाम से बंग सरकार की हिन्दी नीति और अकादमी की गतिविधियों की आलोचना करते हुए समाचार पत्रों में लिखना शुरू किया। सरकार के लिए तिलमिला देने वाले सत्य आधारित लेख आए-दिन छपने लगे। मैं चकित था यह देख कर कि किसी भी समाचार-पत्र ने विवेकानंद भट्टाचार्य के अस्तित्व के बारे में पता करने की जरूरत महसूस नहीं की। १-२ वर्ष में ही विवेकानंद भट्टाचार्य की ख्याति हिन्दी के लिए लड़ने वाले योद्धा की हो गई।
परिणाम यह हुआ कि,१९९८ में जब अकादमी का पुनर्गठन हुआ तो उसकी समिति में विवेकानंद भट्टाचार्य भी शामिल हो गए। विवेकानंद भट्टाचार्य कभी किसी बैठक में उपस्थित नहीं हुए,किन्तु पूरे कार्यकाल में सम्मानित सदस्य के रूप में वे एक अदृश्य छाया की तरह मौजूद रहे। बैठकों में अपने लेखों के कारण आए दिन वे चर्चा के विषय बने रहते और कुछ लोग तो उनसे मिलने की डींग भी हांकते। ‘निंदक नियरे राखिए’ की नीति का सरकार द्वारा समर्थन करता देखकर जहाँ मुझे संतोष का अनुभव हुआ, वहीं अकादमी का सम्मानित सदस्य बनाते वक्त भी सरकार द्वारा उस व्यक्ति के निवास आदि के बारे में पता न करने की दशा पर मैं चकित था।
आज मुझे लगा कि इस रहस्य को सार्वजनिक किया जाना चाहिए,क्योंकि इस रहस्य का एकमात्र साक्षी मैं हूँ।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

Leave a Reply