डॉ.प्रभात कुमार सिंघल
कोटा(राजस्थान)
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खूबसूरत प्राकृतिक सौन्दर्य,वनस्पति एवं फूलों से महकती रमणिक घाटियां,अलबेले और अनूठे पहाड़ी स्टेशन,मंदिरों के कारण पहचान बनाने वाली देवताओं की भूमि है हिमाचल प्रदेश। बहुसांस्कृतिक,विशाल भौगोलिक विविधता एवं लुभावनी प्रकृति से सम्पन्न प्रदेश की कालका-शिमला रेलवे लाइन तथा कुल्लू का ग्रेट हिमालियन राष्ट्रीय उद्यान को ‘यूनेस्को’ की विश्व विरासत धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
हिमाचल की समृद्ध,सांस्कृतिक परम्पराएं हैं। कुल्लू का दशहरा उत्सव न केवल देश में,वरन् विदेशों में भी अपनी पहचान बनाता है। यहां के नृत्य व संगीत स्थानीय त्यौहारों एवं धार्मिक अवसरों पर देखने को मिलते हैं। शिक्षा की दृष्टि से यहां अनेक विश्वविद्यालय हैं। यहां माँ दुर्गा के ७ अवतारों के पहाड़ी मंदिर हिन्दू धर्म के पवित्र पावन स्थल हैं। ट्रेकिंग,पर्वातारोहण,स्कीइंग,हाइकिंग,हैली-स्कीइंग और आइस स्केटिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए यहां का वातावरण अनुकूल है। शिमला,एशिया का एकमात्र प्राकृतिक आइस स्केटिंग का लोकप्रिय स्थल है। अपनी आकर्षक दृश्यावली के कारण आज यह प्रदेश सिनेमा के पर्दे पर चमक रहा है। राज्य में हिन्दी एवं अंग्रेजी के साथ-साथ पहाड़ी, कुल्वी,मण्डीली,कांगड़ी,किन्नोरी,चाम्बोली आदि स्थानीय भाषाएं बोली जाती हैं। पहाड़ी चित्रकला की प्रदेश के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
शिमला-
सैलानियों एवं नव विवाहितों के लिए यह रोमांटिक स्थल है। पहाड़ों की रानी कहे जाने वाले शिमला को सर्वप्रथम 1819 ई. में अंग्रेजों ने खोजा था और अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। न्यू गोथिक वास्तुकला का क्राइस्ट चर्च,महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी एवं हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री डाॅ. वाई.एस. मरमर की प्रतिमा,न्यू-ट्यूडर पुस्तकालय का भवन दर्शनीय हैं। श्यामल देवी का कालीबाड़ी मंदिर एवं पहाड़ी टाइल पर हनुमान को समर्पित जाखू मंदिर भी दर्शनीय हैं। जाखू पहाड़ी पर बर्फीली चोटियों,घाटियों तथा शिमला का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर ग्लेन दर्शनीय स्थल है। रिज रोड़ से पर्वत श्रृंखलाओं का मनोरम दृश्य नज़र आता है। शिमला में जोहनिस वेक्स संग्रहालय,हिमाचल राज्य संग्रहालय एवं शिमला विरासत संग्रहालय भी दर्शनीय है। प्रोस्पेक्ट हिल पर कामना देवी का मंदिर बना है। राष्ट्रपति भवन में बने मुगल उद्यान वाटिका में कई प्रकार के गुलाब हैं। ग्रीष्म काल में राष्ट्रपति यहां आते हैं। मार्च माह में यहां अनेक प्रकार के पक्षी देखे जा सकते हैं।
कालका-शिमला पर्वतीय रेल-
कालका-शिमला पर्वतीय रेल की यात्रा के दौरान पर्वतीय एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का देखने का अपना ही आनन्द है। जब रेल कालका को छोड़ती है तो शिवालिक की घुमावदार पहाड़ी रास्ते से गुजरकर २०७६ मीटर ऊँचाई पर शिमला तक जाती है। इस रेल मार्ग में २० रेलवे स्टेशन,१०३ लम्बी सुरंगें,८६९ पुल एवं ९१९ घुमाव आते हैं। यूनेस्को के दल ने जब इसे और आस-पास के प्राकृतिक दृश्य को देखा तो उन्होंने २४ जुलाई २००८ को सांस्कृतिक श्रेणी में इसे विश्व विरासत घोषित किया।
कुल्लू-
‘देवताओं की घाटी’ के नाम से प्रसिद्ध कुल्लू पर्वतीय क्षेत्र मनाली से ४० कि.मी. दूरी पर है। हिमाच्छादित चोटियां,स्वास्थप्रद जलवायु,हरे-भरे पहाड़,वन्यजीव कुल्लू को मनोरम एवं खूबसूरत बना देते हैं। यह एक लोकप्रिय पहाड़ी स्टेशन है, जहां वर्षभर सैलानियों की आवा-जाही रहती है। यहां ट्रेकिंग, स्कीइंग, हिम ट्रेकिंग साहसिक खेलों में रत सैलानी नजर आते हैं। कुल्लू की खूबसूरती, फूलों की घाटी एवं दशहरा विश्व में प्रसिद्ध हैं। बसन्त के मौसम में रंग-बिरंगे फूलों की घाटी,देवदार से घिरे रास्ते,खूबानी एवं बेर वृक्षों से यहां सौन्दर्य अतुल्य हो जाता है।
मणिकर्ण साहिब गुरूद्वारा-
कुल्लू से ४५ किलोमीटर दूर भूंतर से उत्तर-पश्चिम में पर्वतीय घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य बना यह गुरूद्वारा सिक्खों और हिन्दुओं की आस्था का केन्द्र है। गुरूद्वारे का विशालकाय भवन किलेनुमा दिखाई देता है। यहाँ चश्मे का पानी इतना गर्म होता है कि इसमें खाना पकाया जा सकता है। यह पानी कई बीमारियों को दूर करने में भी सहायक है। यहां ब्रह्मगंगा,नारायणपुरी,रासकट, भगवान राम,कृष्ण, विष्णु एवं शिव के मंदिर भी दर्शनीय हैं। मणिकर्ण से दूर पुलगा,रूद्रनाथ,खीर गंगा तथामानतलाई की चोटियां देखते ही बनती हैं। सम्पूर्ण पर्वतीय घाटी पर्वतारोहण के शौकिनों के लिए स्वर्ग के समान है। चण्डीगढ़ यहां का निकट रेलवे स्टेशन है।
डलहौजी-
हिमालय की कुदरती सुन्दरता को प्रदर्शित करने वाला डलहौजी पर्वतीय क्षेत्र ६-९ हजार फुट की ऊँचाई पर एक रमणिक पर्यटन स्थल है। डलहौजी धौलाधार पर्वत श्रृंखला की पश्चिमी सीमा पर काठ लोग,पात्रे,तेहरा,बकटोरा एवं बलूम नामक ५ पहाड़ियों के आस-पास फैला हुआ है। यह स्काॅटिश और विक्टोरियन वास्तुकला की इमारतें है। १९वीं शताब्दी में ब्रिटिश गर्वनर जनरल लाॅर्ड डलहौजी के नाम पर इस पर्वतीय क्षेत्र को बसाया गया। रावि नदी का यहां अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।
धर्मशाला-
धर्मशाला पर्वतीय क्षेत्र की ख्याति अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर छोटे ल्हासा के रूप में विख्यात है। बताया जाता है कि १९६० ई. में दलाईलामा ने यहां अपना अस्थाई मुख्यालय बनवाया था। यहां पाइन के ऊँचे पेड़,चाय के बागान और इमारती लकड़ी के ऊँचे वृक्ष प्रकृति को मनोरम स्वरूप प्रदान करते हैं। अंग्रेजों ने इसे एक छोटे पर्यटक स्थल के रूप में बसाया था। धर्मशाला को २ भागों में बांटा जा सकता है-कोतवाली बाजार तथा मक्लोडगंज। मक्लोडगंज तिब्बतीय बस्तियों का क्षेत्र है। यहां एक वृहत प्रार्थना चक्र एवं एक मठ में बौद्ध प्रतिमा दर्शनीय है। यह स्थान तिब्बत के धर्मगुरू दलाईनामा का निवास है। यहां सेंट जाॅन चर्च एवं त्रियूंड एक खूबसूरत स्थल है। कोतवाली बाजार से ३ कि.मी. पर कुशलदेवी पत्थर मंदिर एवं समीप ही डलझील पिकनिक स्थल,जल प्रपात व भगसूनाथ मंदिर दर्शनीय है,तो चामुण्डा माता प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
कुफरी-
अनन्त दूरी तक चलता आकाश,बर्फ से ढकी चोटियां,गहरी घाटियां और मीठे पानी के झरने सभी कुछ मिलकर सैलानियों को कुफरी आने का निमंत्रण देते हैं। शिमला के समीप कुफरी हिमाचल के दक्षिणी भाग में स्थित है। ठण्ड के मौसम में यहां हर वर्ष पर्यटकों के लिए खेल कार्निवाल आयोजित किया जाता है,साथ ही पर्वतारोहण का भी अपना ही मजा है। महासूपीक,ग्रेट हिमालियन नेचर पार्क और फांगू कुफरी के प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। पार्क में पक्षियों एवं जानवरों की १८० से ज्यादा प्रजाति हैं। यहां लकड़ियों से बने मंदिरों की नक्काशी देखते ही बनती है।
मनाली-
कुल्लू से उत्तर दिशा में ४० कि.मी. दूर लेह की ओर जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर घाटी के सिरे के पास स्थित मनाली का रमणिक पर्वतीय स्थल लोकप्रिय पर्यटक केन्द्र है। लाहुल-स्पीति,बारां भंगल (कांगड़ा) और जनस्कर पर्वत श्रंखला पर चढ़ने वालों के लिए यह एक पसन्ददीदा स्थल है। यहां अनेक मंदिर व बौद्ध मंदिर हैं तथा रोमांचकारी गतिविधियां इसे हर मौसम में लोकप्रिय बनाती है। यहां लम्बी पैदल यात्रा(हाइकिंग),पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग और माउन्टेन बाईकिंग के साथ-साथ याक स्कीइंग भी लोकप्रिय है। मनाली के राजा तक्षपाल द्वारा निर्मित वशिष्ठ मंदिर,हनुमान टिब्बा एवं हिडम्बा देवी का मंदिर दर्शनीय है। मंदिर को १६वीं सदी में राजा बहादुर सिंह द्वारा बनवाया गया था। मनाली के जगतसुख में बने अनेक मंदिर तथा खतरनाक रोहतांग दर्रा दर्शनीय स्थल हैं।
देवी के शक्तिपीठ-
पहाड़ों पर चामुण्डा देवी-बृजेश्वरी देवी,नैना देवी, कांगड़ा देवी,ज्वालादेवी,चिंतपूर्णा देवी के मंदिर हिमाचल को धार्मिक और आध्यत्मिक महत्व प्रदान कर देव भूमि कहलाने का गौरव प्रदान करते हैं। चामुंडा देवी का मंदिर कांगड़ा से २४ किमी व धर्मशाला से ८ किमी की दूरी पर है। ये मंदिर हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से है। कांगड़ा देवी ५१ शक्ति पीठों में एक है,जहाँ सती का दाहिना वक्ष गिरा था। नैना देवी मंदिर,चिंतपूर्णा देवी मंदिर भी ५१ शक्तिपीठों में एक प्रमुख मन्दिर है। चिंतपूर्णी मंदिर के चारों दिशाओं में भगवान शिव का मंदिर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ पर देवी सती के नेत्र गिरे थे।