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कर दिए गाल लाल-लाल

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आई है रंगीन होली झूम-झूम के,
सभी परदेसी पिया को संग ले के।

आए हैं मेरे परदेसी पिया होली में,
पहनूंगी पीली चुनर आज होली में।

देखो फिर से आ गई,रंगीन होली,
पिया बिन थी मेरी,गमगीन होली।

सखी मेरे पिया खेलेंगे खुब होली,
संग में खेलते हैं उनके हमजोली।

पिया लेकर के लाल-लाल गुलाल,
कर दिए दोनों,वो गाल लाल-लाल।

भर-भर के रंगों से ले के पिचकारी,
कर दिए रंगीन, पिया चुनर हमारी।

पिया चलते ऐसे,जैसे पी है भंग,
रंग से रंगीन है सजन जी के अंग।

आँचल ना छोड़े,रह-रह के छेड़े,
ना मानूं बातें तो,करते हैं बखेड़े।

सखी सभी देख के,खूब मारे ताना,
पिया से मिलने को करती बहाना।

सखी मैं तो बहुत ही खुशनसीब हूँ,
होली में अपने,पिया के करीब हूँ॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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