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एक और प्रिया का अंत

डॉ.मधु आंधीवाल
अलीगढ़(उत्तर प्रदेश)
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नीना ने जैसे ही सुबह का समाचार-पत्र हाथ में लिया,सबसे पहले दुखद समाचार पर नजर पड़ी।आज फिर एक परी का बलात्कार…वह बिलकुल मरणासन्न अवस्था में हो गई।
वह फिर बीते दुखी दिनों की याद में खो गई। भूलने पर भी अपने कलेजे के टुकड़े के साथ हुई घटना को नहीं भूल पाती। मेरी लाड़ली प्रिया,जो पापा की जान थी,भाई की परी…। घर से कोचिंग को निकली तो उसका खरोंचों से भरा निर्जीव शरीर ही सड़क के किनारे मिला। जिस लाड़ली को उसने नाजों से पाला था। उन नाजुक अंगों को बहुत कोमलता से पोंछा था,गर्म गोश्त के शौकीन हैवानों ने उन्हीं अंगों को बुरी तरह रौंदा था।
कभी प्यार से भाई भी उसके गालों को कस के छू लेता था,तो वह बुरी तरह झगड़ पड़ती थी। रो-रो कर कहती थी भाई मेरे बहुत दुखता है…। आज उसी लाड़ली के गालों को बुरी तरह दांतों से काटा गया।
समाचार-पत्र हाथ में लिए नीना बुरी तरह रो रही थी। आज एक और प्रिया गर्म गोश्त के शौकीनों की बलि चढ़ गई।

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