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रहें प्रेम से

नरेंद्र श्रीवास्तव
गाडरवारा( मध्यप्रदेश)
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विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष….

रहें प्रेम से,कभी न झगड़ेंं,
झगड़े में कुछ नहीं रक्खा।
सच्ची-सच्ची बात करें हम,
तुम बताओ,है नईं कक्का॥

चार दिना की ये जिंदगानी,
नम्बर सबका आयेगा।
इधर से कुछ ना ले जायेंगे,
सब रखा यहीं रह जायेगा।
क्यों करें हम धक्का-मुक्की,
क्यों मारें धक्कम-धक्का॥

हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
आपस में सब भाई प्यारे।
सबके आगे नतमस्तक हम,
मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे।
कहते भी हैं धर्म सभी ये,
यही किताबों में लिक्खा॥

जो छोटे हैं प्यार करें हम,
बड़ों का आदर करना है।
और बराबर के जो भी हैं,
सबको अपना रखना है।
बड़ा मान का पान बड़ा है,
समझें वो,जिसने चक्खा॥

जात-पांंत का भेद करो न,
हम इंसान,तुम भी इंसान।
लाल रंग का खून सभी का,
दो आँखें,सबके दो कान।
बात करो न ऐसी किसी से,
लगे कलेजे को धक्का॥

सुख में सब मिल नाचें-गायें,
हम दुःख में साथ निभायेंगे।
आन पड़े गर कोई मुसीबत,
सब मिल के निपटायेंगे।
ऐसी पेश मिसाल करें हम,
सब देखें,हों हक्का-बक्का॥