एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
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चार दिन की जिन्दगी फिर अंधेरा पाख है,
फिर खत्म कहानी और बचेगा धुंआ राख है।
अच्छे कर्मों से ही यादों में रहता है आदमी-
तेरे अच्छे बोल व्यवहार से ही बनती साख है॥
कब किससे कैसे बोलना,यह मानना बहुत जरूरी है,
इस बुद्धि-कौशल कला को,जानना बहुत जरूरी है।
शब्द तीर हैं कमान हैं,देते हैं घाव गहरा बहुत-
हर स्थिति को सही-सही पहचानना बहुत जरूरी है॥
साथ-समय-समर्पण दीजिए,आप बदले में यही पायेंगे,
जैसा बीज डालेंगें धरती में,फल वैसा उगा कर लायेंगे।
सम्मान पाने को सम्मान देना,उतना ही है जरूरी-
बस तेरे मीठे बोल ही सदा सबको याद आयेंगें॥