संजय जैन
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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जन्माष्टमी विशेष…..
कितना पावन दिन आया है,
सबके मन को बहुत भाया है
कंस का अंत करने वाले ने,
आज जन्म जो पाया है
जिसको कहते हैं जन्माष्टमी।
काली अंधेरी रात में नारायण लेते,
देवकी की कोख से जन्म
जिन्हें प्यार से कहते हैं,
कान्हा कन्हैया श्याम कृष्ण हम।
लिया जन्म काली रात में,
तब बदल गई धरा
और बैठा दिया मृत्युभय,
कंस के दिल-दिमाग में
भागा-भागा आया जेल में,
पर ढूंढ न पाया बालक को
रचा खेल नारायण ने ऐसा,
जिसको भेद न पाया कंस।
फिर लीलाएं कुछ ऐसी खेली,
मंत्रमुग्ध हुए गोकुल के वासी
माता यशोदा आगे-पीछे भागे,
नंद जी देखे तमाशा माँ-बेटे का।
सारे गाँव को करते परेशान,
फिर भी सबके मन भाते हैं
गोपियाँ ग्वाले और क्या गायें,
बन्सी की धुन पर थिरकते हैं
और मौज-मस्ती करके,
लीलाएं वो दिखलाते हैं
और कंस मामा को,
सपने में बहुत सताते हैं।
प्रेम-भाव दिल में रखते थे,
तभी तो राधा से मिल पाए
नन्द यशोदा भी राधा को,
पसंद बहुत किया करते थे
गोकुल वासियों को भी,
राधा-कृष्ण बहुत भाते थे।
और प्रेमी युगलों को भी,
कृष्ण-राधा का प्यार भाता है॥
परिचय– संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।