बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
*******************************************
शिक्षक के सम्मान में,आओ आगे वीर।
भाग्य विधाता है यही,धीर बनो गम्भीर॥
शिक्षा से उजियार है,लोक और परलोक।
शिक्षा बिन उन्नति नहीं,क्यों करता है शोक॥
ज्ञान और विज्ञान से,आलोकित संसार।
मत करना हे साथियों,शिक्षा का व्यापार॥
बिन गुरु के सम्भव नहीं,उन्नति और विकास।
शिक्षक से शिक्षा मिले,काम सकल विश्वास॥
पहिली गुरु माँ बाप है,शिक्षक रूप समान।
चरन वन्दना कर चलो,ये ही कृपा निधान॥
मुक्ति मार्ग सम्भव बने,गुरु ही तारणहार।
भवसागर नैया यही,कर देते हैं पार॥
झूठ कपट मन में नहीं,सच्चा मित्र सुजान।
सुगम जिंदगी प्यार की,देते हैं भगवान॥
करो वन्दना प्रेम से,शिक्षक ज्ञान प्रकाश।
मिलता इनसे ज्ञान है,आलोकित आकाश॥