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मेरे देश का किसान

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मेरे देश का किसान स्पर्धा विशेष…..

सादर प्रणाम तुम्हें करता हूँ,हमारे देश के किसान भाई,
दुनिया को खुश करके,अपना जीवन बिताते हैं दुखदाई।

बहुत भाग्यशाली कहाते हैं,मेरे देश का किसान,
ईश्वर ने तो जन्म दिया,आप देते हैं अन्न का दान।

जाड़ा-गर्मी हो या बरसात,मेहनत बहुत ही करते हैं,
कड़ी परिश्रम करके आप सब,पेट सभी का भरते हैं।

यदि आप किसान भाई ना होते तो,कैसे प्राण बचता,
जब भोजन करने बैठता हूॅ॑,तब अन्तर्मन यही कहता।

फसल को उगाते हैं,हमारे देश के किसान भाई,
कब फसल को जल देना है,ध्यान रखते किसान भाई।

सुबह से शाम तक,किसान खेत-खलिहान में रहते हैं,
कूल परिवार मिलकर सब,अन्न को उपार्जन करते हैं।

किसान का ही अन्न खाकर,बने राजा,रंक,सरकार,
पढ़-लिखकर विद्वान बने,बन गए देश के चौकीदार।

तन में प्राण तब तक हैं,जब तक है,मेरे देश का किसान,
यह परम सत्य है मित्रों,किसान से है हमारा देश महान।

कभी नहीं अपमान करिए,मेरे देश के किसान की,
पढ़ने की व्यवस्था करिए,उनके बच्चे नादान की॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।