श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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सुरों की अमर ‘लता’ विशेष-श्रद्धांजलि….
माता सरस्वती की लाड़ली पुत्री थी स्वर लता,
विदा हो गई है धरा से,माता संग में स्वर लता।
जाते-जाते माता सरस्वती,ले गईं स्वर लता को,
जैसे धरती माता ले गईं थी साथ सीता माता को।
कानों में गूॅ॑जती है मधुर आवाज स्वर लता की,
आँखों से हट नहीं रही है,सूरत स्वर लता की।
मधुर स्वरों का गीत,गाना,भजन याद आता है,
जब सुनता हूँ गीत,आँखों से आँसू छलकता है।
बड़ी बहन लता दीदी,सभी नारीयों की शान थी,
उनके मधुर स्वरों में,प्रेम की भक्ति भरी जान थी।
नहीं लगता अब धरा में,ऐसी बहन कोई आएगी,
मुरझा गईं गीत की लता,अब नहीं खिल पाएगी।
कंठ कोकिला,लता कोकिला कहाॅ॑ चली गई हो,
हर गीत का स्वर,संग साथ लेकर चली गई हो।
शत-शत नमन करती है बहन,तुम्हें सखी ‘देवन्ती’,
सम्पूर्ण आशीष बहनों को देना,मैं करती विनती॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।