कुल पृष्ठ दर्शन : 287

You are currently viewing मालिक बनो मन के

मालिक बनो मन के

मुकेश कुमार मोदी
बीकानेर (राजस्थान)
****************************************

खबर भी ना होती और, मन हमको छल जाता है,
इल्म होने तक संभलने का, वक्त निकल जाता है।

बड़ी तेज रफ्तार है मन की, पकड़ ना कोई पाया,
विचारों की डालियों पर, ये उछलता नजर आया।

अब कैसे बांधूं पकडूं कैसे, और कैसे इसे थमाऊं,
रोज ना जाने कितनी बार, इस मन से हार खाऊं।

चोर कहीं का मन ये मेरा, हाथ कभी ना आता है,
इसको बांधने का उपाय, समझ मुझे ना आता है।

कहा किसी ने जरा अपनी, इच्छाओं को टटोलो,
अपनी हर इच्छा को तुम, विवेक तुला पर तोलो।

इंद्रियां ललचाने वाली, इच्छा पर अंकुश लगाओ,
घातक ये जीने के लिए, खुद को यही समझाओ।

बोलना-सुनना सात्विक, और सात्विक ही खाना,
सात्विकता को अपने, जीवन का आधार बनाना।

हमारी दिनचर्या जितनी, सात्विक बनती जाएगी,
मन की चंचलता भी हमारे, वश में होती जाएगी।

औरों से छल करने का, विचार ना मन में लाएंगे,
अपने मन के छलने से, हम भी पूरा बच जाएंगे।

चलो उसी पथ पर, जिस पर चलाए हमें भगवान,
मालिक बनो अपने मन के, ना बनो कभी गुलाम॥

परिचय – मुकेश कुमार मोदी का स्थाई निवास बीकानेर में है। १६ दिसम्बर १९७३ को संगरिया (राजस्थान)में जन्मे मुकेश मोदी को हिंदी व अंग्रेजी भाषा क़ा ज्ञान है। कला के राज्य राजस्थान के वासी श्री मोदी की पूर्ण शिक्षा स्नातक(वाणिज्य) है। आप सत्र न्यायालय में प्रस्तुतकार के पद पर कार्यरत होकर कविता लेखन से अपनी भावना अभिव्यक्त करते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-शब्दांचल राजस्थान की आभासी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त करना है। वेबसाइट पर १०० से अधिक कविताएं प्रदर्शित होने पर सम्मान भी मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जीवन मूल्यों को पुनर्जीवित करने का प्रयास करना है। ब्रह्मकुमारीज से प्राप्त आध्यात्मिक शिक्षा आपकी प्रेरणा है, जबकि विशेषज्ञता-हिन्दी टंकण करना है। आपका जीवन लक्ष्य-समाज में आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की जागृति लाना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिन्दी एक अतुलनीय, सुमधुर, भावपूर्ण, आध्यात्मिक, सरल और सभ्य भाषा है।’