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भ्रष्टाचार के खात्मे से ही विकसित राष्ट्र बनेगा भारत

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश के विकास की जो गति होनी चाहिए, वह नहीं हो पा रही है। देश का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां भ्रष्टाचार नहीं है। राजनीतिक दल भ्रष्टाचार रोकने के वादे के साथ चुनाव में उतरते हैं, परंतु सरकार बनते ही वे भी भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानने लगते हैं। अन्ना हजारे के नेतृत्व में जन लोकपाल बिल बनाने को लेकर बहुत बड़ा आंदोलन हुआ, लेकिन आंदोलन के बल पर सत्ता प्राप्त करते ही लोकपाल बिल की कोई चर्चा ही नहीं की जाती है। भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगे, इसके लिए जनता ने भी बार-बार आंदोलन किया, लेकिन कोई भी हल नहीं निकला है।
भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह चाट रहा है। घोटालों और रिश्वतखोरी ने देश को काफी पीछे धकेल दिया है। अगर हालात ऐसे ही बने रहे, तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं बचा सकता है।
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है-भ्रष्ट आचरण, जो २ शब्दों से मिलकर बना है- भ्रष्ट और आचरण। इसका अर्थ है कि ऐसा आचरण जो किसी भी दृष्टि में अनैतिक और अनुचित हो, अर्थात जब कोई व्यक्ति न्याय व्यवस्था या सामाजिक व्यवस्था के मान्य नियमों के विरुद्ध जाकर अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए गलत आचरण करने लगता है, तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। इस तरह देखा जाए तो भ्रष्टाचार का अर्थ बहुत ही व्यापक है, इसमें हर गैर कानूनी और गैर सामाजिक कृत्य समाहित हो जाता है, परंतु आजकल सामान्यतः आर्थिक अपराध को ही भ्रष्टाचार की परिधि में रखा जाता है।
ऐसा कहा जाता है कि एक बार समस्या का कारण पहचानने के बाद उसके समाधान में सरलता हो जाती है, परंतु भ्रष्टाचार के मावले में यह युक्ति सही नहीं प्रतीत होती है।
भ्रष्टाचार के चलते विकसित भारत की बात करना कोरी कल्पना के अलावा कुछ नहीं है। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए अच्छे रोजगार के अवसरों की वृद्धि के साथ ही जनसंख्या की बढ़ती दर को नियंत्रित करना आवश्यक है। इसके अलावा प्रत्येक नागरिक को जागरूक होना पड़ेगा, ताकि कोई भी अपराधी प्रवृति का व्यक्ति चुनाव न जीतने पाए। राजनीतिक शुचिता हो जाने से भ्रष्टाचार की आधी समस्या से निजात पाई जा सकती है। इसी तरह भ्रष्टाचार मुक्त भारत के निर्माण के लिए हर छोटे से छोटे पहलू पर काम करना होगा।
सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने के लिए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, क्योंकि देश की प्रगति इसके बिना संभव नहीं है।
हमारे देश में भ्रष्टाचार का स्तर अधिक होने के कई कारण हैं। जैसे नौकरी के अवसरों की कमी, जातिगत आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, सख्त सजा का अभाव, शिक्षा की कमी, नैतिक शिक्षा का अभाव, लालची प्रवृत्ति, पहल करने के साहस की कमी, भुज बल, धन बल, छल बल का प्रभाव, राजनीति के अपराधीकरण से मुक्त होने की कोई नीति नहीं होना, मतदाताओं का जागरूक न होना, काम करवाने की छोटी पद्धति आदि।
इन सभी समस्याओ का निराकरण करके ही भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है, और तभी विकसित भारत का सपना पूरा हो हो सकता है। हमारे देश के सभी नेता तथा उच्च पदाधिकारी अपने पदों का सदुपयोग जनता के कल्याण के लिए करें, आम नागरिक अपनी जिम्मेवारी को समझें, अपने मत की कीमत पहचानें, देश के सभी नियम, कानूनों को मानें एवं सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें तो भारत भ्रष्टाचार से मुक्त होने के साथ ही साथ विकसित भारत भी बन सकता है।

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।