डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यह सन्देश नहीं आस्था संग,
अटूट विश्वास का सर्वोत्तम
और सुंदर प्रचार-प्रसार है,
सुन्दरता पर यह लिखा गया
सबसे शिष्ट व वैज्ञानिक विचार है।
मधुर हसीन रम्य और मंजुल,
इसके सुन्दर-सुन्दर नाम है
चारू दिव्य रमणीक व सुरम्य,
इसके भिन्न-भिन्न पदनाम है।
जलन व ईर्ष्या का शून्य होना,
सुन्दरता का अपूर्व रंग है
नकारात्मक भावनाओं पर,
विजय पताका फहराकर ही
मिलता सात्विक सत्संग है।
ब्रह्माण्ड की हर एक चीज में,
सुन्दरता का भाव दिखता है
सुन्दर व्यवहार इसे परखता है,
मन की सुन्दरता से आनन्द व
सन्तोष की अनुभूति देता है।
अच्छी कलाकारी व अच्छा,
व्यवहार रूपरेखा संग सुन्दर
समग्र अर्थ में ख्याति अर्जित कर,
सुन्दरता की परख सिखाता है।
आओ हम सब मिलकर यहां एक,
सांस्कृतिक विरासत को अपनाएं।
सुन्दरता को कटघरे में खड़ा करने,
वाले लोगों से इसे तुरन्त बचाएं॥
परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।