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एक अरसे के बाद…

बबीता प्रजापति ‘वाणी’
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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ज़िंदगी में थकावट,
स्वभाव में मिलावट
कम होती जाती है,
एक अरसे के बाद…।

चेहरे की बनावट,
दिलों की खिलाफत
बदल ही जाती है,
एक अरसे के बाद…।

शब्दों की सजावट,
मायूसी और थकावट
कम होती जाती है,
एक अरसे के बाद…।

शब्दों की लिखावट,
आँखों की दिखावट
कम होती जाती है,
एक अरसे के बाद…।

बच्चों सी नादानी,
दिलों में परेशानी
कम हो जाती है,
एक अरसे के बाद…।

एक अरसे के बाद,
ठहर जाती है जिंदगी
ढल जाती है उम्र भी,
बस राह तकती है जिंदगी।
मृत्यु का करने वरन,
एक अरसे के बाद…॥