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धूम मचाती वर्षा ऋतु

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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धूम मचाती जल बरसाती, वर्षा रानी आई।
आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई॥

वसुधा की सब प्यास बुझ गई, हुआ आज मन हर्षित,
मौसम में खुशियों की हलचल, पोर-पोर है पुलकित।
हरियाली की बजी आज तो, मीठी-सी शहनाई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे,झूम-झूम अँगड़ाई…॥

मेघों की तो दौड़-भाग है, मोरों का है नर्तन,
हरियाया वन निज सत्ता का, करता ख़ूब प्रदर्शन।
पावस के इस ख़ास दौर में, पोषित है तरुणाई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे,झूम-झूम अँगड़ाई…॥

आतप का तो दौर ढल गया, जल बूँदों की महिमा,
आज बरसते जल में तो है, सुधा सरीखी गरिमा।
दमक रही है नभ में बिजली, भय की सिहरन आई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई…॥

कुँए, झील, तालाब भर गये, खेतों में है पानी,
अब किसान के मुखड़े पर है, खेले नई जवानी।
सावन-भादों हर्षाये हैं, शिवपूजा मन भाई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई…॥

वरुण देव की दया हो गई, आज प्रकृति आनंदित,
आकर्षण, सम्मोहन दिखता, हुआ नेह परिभाषित।
उमड़ी-घुमड़ी सरिताओं में, दिखी नवल प्रभुताई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई…॥

विरह जगाती है यह वर्षा, प्रियतम बिन मायूसी,
मिलना कैसे होगा अब तो, क़िस्मत हुई रुआँसी।
इस सावन ने बैर भँजाया, तन में आग लगाई,
आज मगन मन वृक्ष ले रहे, झूम-झूम अँगड़ाई…॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।