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नदियों का रूदन

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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यहाँ मेरी तनहाई,
मुझे रूला रही है
कोई मदद करने वाली,
संग साथ नहीं आ रही है
कल-कल मैं बहती थी,
आज़ मृत्यु शय्या पर हूँ
छोटी-छोटी नदियाँ,
आज़ बस औपचारिकताएं पूरी
करते हुए दिखाई दे रही हैं,
गन्दी बरसात की कृपा
मुझमें बड़ी तेजी से समा रही है।

कल-कारखाने यहाँ मुझ पर,
गज़ब तरीके से ज़ुल्म ढा रहे हैं
कभी अपशिष्ट तो कभी तरल रसायन,
कभी गन्दी नालियों का मल-मूत्र
यही मेरी जिंदगी को खुशियाँ,
और सुकून देने वाला भोजन है
संकीर्णता से कुछ नहीं,
सब जगह बस मुझे दिखला रहे
सब प्रलोभन हैं।

मैं श्वेत वस्त्र में लपेटकर,
अपने को सुरक्षित रखने का हुनर ढूंढ रही हूँ
नजदीकी रिश्तेदारों को,
तेज़ी से तलाश रही हूँ
मुझ पर भरोसा नहीं है अब,
आज़ किसी को यहाँ
सब बस अपनी सोच को,
विकसित करने में ही
बेइंतहा पा रहे हैं ख़ुशी यहाँ।

कितनी सरकारें आईं और गईं,
कोई सुध नहीं मुझ पर कभी ली
यह तो मेरे साथ एक बड़ी नाइंसाफी है,
यह बहुत बड़ी सियासी खेल-सी सफाई है
मुझे बड़ा परेशान किया जा रहा है,
मैं तड़पती हुईं नज़र आज बेचैन रह रही हूँ
कभी मुझ पर रहम कर,
चंद आशार लिख दिए जाते हैं
कुछ शे’रों की बरसातें सुनाईं देती है,
बस उसी उम्मीद में
कुछ-कुछ उम्मीद नज़र आती है।

आज-कल मुझे देखते हुए,
कुछ मिसालें और मिसरे गढ़े जा रहे हैं
खैरियत और तंदुरुस्ती के पीछे,
छिपे राज़ के बारे में गुफ्तगू की जा रही है
कुछ मशहूर वक्त के आने पर,
मेरी ख़ैर-ख़बर ली जाती है
कुछ मुक्तक और क्षणिकाएं,
लिखने वाले लोगों की अहमियत नज़र आती है।

यही मेरी तकलीफ़ अब हदें पार कर चुकी है,
इस बदनसीबी में अब कुछ नहीं बचा है,
मैं उम्मीद करता हूँ कि वक्त बदलेगा,
मैं सफ़ेद कपड़ों में नज़र आऊँगी।
सुबह-शाम मेरी खिदमत की जाएगी,
खुशियाँ और सुकून यहाँ हर लम्हा पाएंगी।

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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