तुम यहीं हो Post author:राजभाषा से राष्ट्रभाषा Post published:July 14, 2023 Post category:Uncategorized / कविता / काव्यभाषा कवि योगेन्द्र पांडेयदेवरिया (उत्तरप्रदेश)***************************************** मैं ढूंढ रहा हूँ,तेरे क़दमों के निशानतुम यहीं हो,तुम यहीं कहीं हो। ये हवा में महक,चूड़ियों की खनकबस यही कह रही है,तुम यहीं हो…तुम यहीं कहीं हो॥ You Might Also Like लोकसभा:नयी उम्मीदों को पंख June 24, 2024 प्रथम भोर, नये एहसास January 8, 2025 मीठी-सी छुअन June 26, 2025