अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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मनुज हो ना!
तो न बनो पत्थर
दया करना।
मदद करो
दिखाओ संवेदना
हाथ बढ़ाओ।
है पहचान
मानवता हमारी
यही सम्मान।
याद रखना
मानव-पशु फर्क
सदा निभाना।
हो जो अन्याय
मूक नहीं रहना
विरोध करो।
स्वार्थ छोड़ दो
ये मानवता रहे
बढ़े विश्वास।
विनम्र होना
शर्मिंदा जो करे तो
सुनो मन की।
लाज रखना
आने न देना आँच
योद्धा बनना।
भीड़ ना बनो
रखिए अहसास
मानव बनो।
सुरक्षा करो
सबकी अस्मिता हो
यही संस्कार॥