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फागुन

राधा गोयल
नई दिल्ली
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फागुन की मदमाती रुत है, खुशियाँ लाई अपार
सतरंगी रंगों से सारा रंगा हुआ संसार
टेसू और पलाश महकते, मिला शीत से त्राण।
प्रेमी युगलों के मन में मन्मथ ने मारे बाण।

कोई हुआ प्रेम से घायल, कोई युद्ध में घायल
युद्ध में घायल हैं साजन, तो कैसे बाजे पायल ?
इस जीवन के कैनवास पर अजब-गजब से रंग,
कुछ दिल को खुश कर देते हैं, कुछ करते बेरंग।

यूक्रेन में कितने मर गए, कितने हो गए बेघर
कौन सहारा देगा उनको, भटक रहे हैं दर-दर
जिन्दगी के कैनवास पर, खूनी रंग पुता है
यूक्रेन को घुटनों पर लाने को कोई जुटा है।

खून बहाने से क्या होगा, कोई इन्हें समझाओ
मनुज जनम अनमोल है, युद्ध की भेंट न इसे चढ़ाओ।
जीवन के इस कैनवास पर, प्रीत के रंग सजाओ
फागुन के मौसम में, सबको फूलों से नहलाओ॥