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संप्रेषणीयता का गुण इस संग्रह में स्पष्टतः परिलक्षित

पटना (बिहार)।

निराकार में आकार एवं शब्दों में चिंतन को पा लेना बड़ी बात है। ऐसे में सिद्धेश्वर जी का रेखाचित्र एवं साथ में उनकी छोटी-छोटी कविताएं, अपने आपमें अनोखी पा रहा हूँ। सिद्धेश्वर की यह नवीन कलाकृति देखकर मैं अभिभूत हूँ। दोनों विधाओं के बेजोड़ शिल्पी एक चित्रकार कवि की दिशा, दृष्टि और संप्रेषणीयता का गुण सिद्धेश्वर के इस संग्रह में स्पष्टतः परिलक्षित होता है।
जगदंबी प्रसाद यादव प्रतिष्ठान एवं भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित काव्य संध्या समारोह में सिद्धेश्वर की नवीन रेखाचित्र काव्य कृति ‘कैनवास पर बिखरे मोती’ के लोकार्पण के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय चित्रकार आनंदी प्रसाद बादल ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किए।लोकार्पण करते हुए पटना दूरदर्शन के निदेशक डॉ. राजकुमार नाहर ने कहा कि, कला और साहित्य के अमिट पहचान बन गए हैं सिद्धेश्वर। वरिष्ठ साहित्यकार अरुण शाद्वल ने कहा कि, चित्रकला और साहित्य के क्षेत्र में सिद्धेश्वर अपनी राष्ट्रीय पहचान रखते हैं। उम्र के इस मुकाम पर भी उनकी सक्रियता उनके भीतर के जुनून को दर्शाता है।अध्यक्षता करते हुए लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि, कविता और कला के हल्के में सिद्धेश्वर की शोहरत सर्वप्रिय रही है। इसका जीता-जागता नमूना है, दोनों ही विधाओं का बेजोड़ समन्वित रूप ‘कैनवास पर बिखरे मोती’, जिसकी मार्फत बूंद में समुद्र भरने की कामयाब कोशिश काबिले तारीफ है। एक तरफ देखने में छोटी-छोटी, मगर नाविक के तीर सी गंभीर घाव करने वाली, नस्तर चुभोती क्षणिकाएं है, वहीं उसी कथ्य भूमि पर विचारों का
भाव प्रवण रेखांकन भी अद्भुत है। समारोह और सिद्धेश्वर की चित्रकला प्रदर्शनी के मुख्य अतिथि डॉ. वीरेंद्र कुमार यादव ने कहा कि, सिद्धेश्वर की यह नवीन चित्रात्मक काव्यकृति, साहित्य एवं कला के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है कवि दिलीप कुमार और विख्यात लघुकथाकार रामयतन यादव आदि ने भी अपनी बात रखी।
समारोह का आरंभ नीतू नवगीत की सरस्वती वंदना से हुआ।
इसके पश्चात काव्य संध्या का संचालन युवा कवयित्री राज प्रिया रानी ने किया।
इनके सशक्त संचालन में २४ से अधिक कवियों ने गीत-ग़ज़ल से समां बांध दिया। लोकार्पण समारोह का संचालन सुधा पांडे ने किया।