श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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अज्ञानता मिटाने वाले, हे गुरुदेव आपको नमन
धर्म ज्योति जगाने वाले, हे श्रीगुरु आपको वंदन।
आपसे ही ज्ञानरूपी धन पाकर धनवान बना हूँ,
भारत के कोने-कोने में, आज सम्मान से भरा हूँ।
करता हूँ प्रतिज्ञा, निरक्षर को शिक्षित मैं बनाऊँगा
शपथ है, ज्ञान रूपी धन से मैं अज्ञानता मिटाऊँगा।
मैं जलाऊँगा ज्ञान दीप, जहाँ अभी भी है अंधेरा
निर्धनता के कारण, जहाँ अभी दूर खड़ा है सबेरा।
नन्हें बच्चों को, भारत देश की भव्यता दिखाऊँगा
अपना स्वतंत्र भारत देश महान है, उन्हें बताऊँगा।
भारतीय संस्कृति का पाठ, बेटियों को भी पढ़ाऊँगा
बेटियाँ आत्मनिर्भर हो जाए, उनको राह दिखाऊँगा।
आजाद हिन्द का सिपाही, बेटा-बेटी को बनना है
लाखों बाधाएं क्यों न आए, कभी नहीं डरना है।
गुरु की शरण में जाकर, ज्ञान के सरोवर में नहाना है।
नव पीढ़ियों के मन मंदिर में, ‘ज्ञान दीप जलाना’ है॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है |