हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)…
माँ सपनों की दुनिया नहीं,
तू ममता की मूरत है…
हाँ, माँ हम बच्चों के लिए
चाँद और सूरज है।
तेरे बिना तो यह जहां अधूरा है माँ,
तू नहीं तो कुछ भी नहीं है।
माँ सपनों की दुनिया नहीं…
तेरे आँचल की उस छाँव का स्नेह,
तेरे अमृत की वह तृप्ति
वह गोद में बेठे बच्चों का खुश होना,
संसार के सब सुखों की प्रतिमूरत है।
माँ सपनों की दुनिया…
रोते हुए बच्चों के लिए माँ, उम्मीद की किरण है
वह देवी नहीं, ममता की मूरत है।
माँ सपनों की दुनिया…
बचपन माँ के बिना अधूरा है,
माँ आशा व विश्वास की दहलीज है
बच्चों के लिए माँ उनका कल है,
वह भविष्य का भी सुनहरा पल है।
माँ सपनों की दुनिया नहीं…
तेरे जाने के बाद माँ आज भी,
तू हमारे आसपास ही है
क्योंकि, बच्चों के लिए
उनका आज भी और कल भी माँ है
वह माँ हमारी आश है,
वह ही विश्वास है।
माँ सपनों की दुनिया नहीं…
यही हर एक माँ की दुनिया है,
माँ सपनों की दुनिया नहीं।
ममता की मूरत है,
माँ हम बच्चों के लिए चाँद व सूरज है॥