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नेह का दीप

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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नेह का दीप मन देहरी पर धरा,
सारे जीवन में एक रोशनी हो गई
प्रफुल्लित हो उठा तन और मन,
रजनी जुगनू की मोहिनी हो गई।

मिट गया तमस जगत का सारा,
अंधेरी रात अब चाँदनी हो गई
खुशियाँ छा गई घर के आँगन में,
नेह की बड़ी मेहरबानी हो गई।

अपने-पराए सब मिल बैठे हैं,
जीने में अब आसानी हो गई
सुख-दुःख की सहेली जैसी,
तेरी और मेरी कहानी हो गई।

जीवन में मेरे हुआ उजियारा,
चंदा की चकोरी दिवानी हो गई
महक गया गुलशन अब सारा,
प्रेम की अजब निशानी हो गई।

ईर्ष्या-द्वेष का हो गया खात्मा,
जिंदगी अब सुहानी हो गई।
नेह का दीप मन देहरी पर धरा,
सारे जीवन में एक रोशनी हो गई॥

परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।