हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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मत कर तू अभिमान,
क्योंकि तू यहाँ पर है मेहमान
तेरा यहाँ कुछ भी नहीं,
फिर क्यों है तुझे है गुमान।
दो पल की जिन्दगी है,
जिसमें पल का भरोसा नहीं
कब तेरा बुलावा आ जाए,
फिर क्यों है तुझे गुमान।
पानी के बुलबुले-सा जीवन,
ना जाने कब मिट्टी में मिल जाए।
तेरा कर्म ही तेरा साथी बनकर आएगा,
मत कर तू अभिमान॥