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क्या अदावत है

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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रचनाशिल्प: १२२२-१२२२-१२२२-१२२२…

हमारी तो सियासत ना रियासत ना हुकूमत है,
महज इत्ता जरा-सा दिल किया बेजा बगावत है।

उसे कहते इधर आओ, कहा-मानो ए दीवाने,
नहीं आता इसे, हम क्या करें ये क्या कयामत है।

चुराता आँख से काजल, निकल जाता नजाकत से,
लगाता तोहमत हम पे न जाने क्या अदावत है।

मचलता दिल तमन्ना रख फ़लक से चाँद-तारों की,
नहीं मालूम दुनियावी अलग होती हकी़कत है।

उजाला शौक़ में रखता, ये जुल्मत का बडा दुश्मन,
कहीं मिल जाए कोई रौशनी, करता इबादत है।

हुआ जिद्दी बहुत, मनमानियाँ करना शगल इसकी,
इजाजत दें इसे कैसे बता ये क्या शराफ़त है।

लिया करता मजा-मस्ती कजा़ से खौप खाली दिल,
खुशी रंगीनियों से मिल मचाता खूब दहशत है।

जलाल़ गज़ब-अजब़ जलवा इनायत मिल्कियत इसकी,
मुहब्बत की जरा इक घूँट तबियत फिर सलामत है।

अमीरी की नहीं मन्नत, नहीं चाहत फकीरी की,
ये दिल का मामला संग दिल सुनो दिल की जरुरत है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।