ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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दिल छटाक भर जिम्मेदारियाँ बहुत है।
डगर जिंदगी की दुश्वारियाँ बहुत है।
करते नहिं हल लोग मसलों-मुश्किलों को,
मुफ्त़ में मिलती राय शुमारियाँ बहुत है।
कहने दो दुनिया बेवकूफ कहेगी,
मासूमियत में पर किलकारियाँ बहुत है।
मकड़जालों में अपने उलझे सभी जन,
रिश्तों में लगी घुन-बिमारियाँ बहुत है।
लोग सोते नहीं अब रातों में मुकम्मल,
बढ़ गयी दिलों में खु़मारियाँ बहुत है।
हमने देखी है दुनिया की दिलदारी,
इस्तकबाल संग में आरियाँ बहुत है।
मरने के बाद जन जींदा रहने खातिर,
करते जीते-जी तैयारियाँ बहुत है।
छूटती ही नहीं लत लग जाए कोई,
दर्द में खुशी की लाचारियाँ बहुत है।
ख्वाब कोरे पहने बिन लपेटे रखा है,
चुभते थे उसमें जरदारियांँ बहुत है॥
परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।