हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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अपना-अपना नसीब होता है,
कौन किसके करीब होता है ?
जिंदगी के इस महासमर में,
सच्चा साथी उम्मीद होता है।
उम्मीद है सपना, साथी अपना,
एक आस-विश्वास
लाख उलझनें उलझाती हो,
पर होने न देती निराश।
कल क्या होगा ? किसे है मालूम,
पर गजब जिंदगी का जोश है
निरंतर साधता कल के सपने,
उम्मीद के नशे में मदहोश है।
बादल उम्मीद है किसानों की,
मजलूमों को उम्मीद है भगवानों की
उम्मीद है ताकत सुंदर-सजीले,
हम सबके अरमानों की।
पिता उम्मीद है बच्चों की,
आएंगे कुछ लाएंगे
पति-पत्नी को उम्मीद है प्यार की,
मिलकर गृहस्थी बसाएंगे।
बच्चे उम्मीद है माँ-बाप की,
कुछ करेंगे और कमाएंगे
उनकी खुशी में खुश हो कर,
इज्जत-मान है पाएंगे।
होती न अगर उम्मीद आज,
हम घरों में बंद न रहते
हारेगा ‘कोरोना’ हमसे,
बे-उम्मीद क्या ऐसा कहते ?
धर्म-कल्पनाएं और जिजीविषा,
उम्मीदें ही तो बंधाती है
उम्मीदें ही तो औषध है वो,
जो पल-पल खुशी दिलाती है।
नीरस होता ये जीवन सारा,
गैर उम्मीदी साए में
उदासीनता होती माँ को जनते
तड़प न होती जाये में।
जिंदगी की इस जद्दो-जहद में,
उम्मीदों का होना जरूरी है।
कर्म है पहिए जीवन के तो,
उम्मीद जीवन की धुरी है॥