ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’
अलवर(राजस्थान)
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मर्म को लगे शब्दों से,
जब अन्तर्मन झकझोर उठा हो
तब हँस-हँस कर बतलाने का,
कोई मतलब नहीं होगा।
मन के भावों के बिना,
घर का आँगन सूना हो जाए
तो बिन बादल वर्षा होने का,
कोई मतलब नहीं होगा।
भाई-बंध और रिश्तेदार,
यदि सुख-दु:ख में नहीं दे सकते साथ
फिर मधुर-मधुर मीठे सम्बन्धों का,
कोई मतलब नहीं होगा।
सुख दुःख तो है जीवन के हिस्से,
आते हैं और फिर चले जाते हैं
फिर अनर्गल कड़वी बातों का,
कोई मतलब नहीं होगा।
सुनी-सुनाई फरेबी बातों से,
जब हृदय में यथार्थ समा जाए
तब कस्मे-वादों की रस्मों का,
कोई मतलब नहीं होगा।
सच को जानो, अपनों को पहचानो,
ऊपर से बुलावा जब आएगा,
तब धन-दौलत, सुख-सुविधाओं का,
कोई मतलब नहीं होगा॥
परिचय- ताराचंद वर्मा का निवास अलवर (राजस्थान) में है। साहित्यिक क्षेत्र में ‘डाबला’ उपनाम से प्रसिद्ध श्री वर्मा पेशे से शिक्षक हैं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी,कविताएं एवं आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। आप सतत लेखन में सक्रिय हैं।