सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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मन के अंदर खिलते मधुबन,
कभी मंद कभी तेज़ हवा में
ले जाते वे हौले-हौले,
बीते समय के गलियारों में।
धीरे-धीरे कहता कोई,
नयन क्यों मूँदे मेरे प्यारे
मौसम वही, वही है कल-कल,
भूल गए क्या दिन वे न्यारे।
अन्तर कितना तब और अब में,
देखो ध्यान से तुम इस पल को
ख्वा़ब कभी देखे थे हमने,
वायदे किए थे हर पल-छिन के।
कुछ भूले कुछ याद हैं वादे,
हाथ पकड़ कर किए थे हमने
समय के संग सब बिखर गए हैं,
साथ-साथ जो लिए थे हमने।
न तुम वो हो न, मैं वो मैं हूँ,
तुम उस जहाँ, इस जहाँ में मैं हूँ।
मधुर मधुर मधुमास सुहावन,
साथ तुम्हें अब भी पाती हूँ॥