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रिश्तों का नवीनीकरण

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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शहरों का शहरीकरण हो गया है,
रिश्तों का नवीनीकरण हो गया है।

चाचा-चाची, बुआ,भाभी का रिश्ता,
आँटी-अंकल का कथन हो गया है।

बुजुर्गों को रखता नहीं कोई घर अब,
यहाँ वृद्धाश्रमों का चलन हो गया है।

कांक्रीट के जंगल बने पेड़ कट कर,
जीव-जंतुओं का गमन हो गया है।

हवा हुई दूषित, जल भी है प्रदूषित,
नेताओं का चिंतन-मनन हो गया है।

पश्चिमी दौड़ के अंधानुकरण से,
सभ्यता-संस्कार मरण हो गया है।

दौलत-शोहरत के मद में हैं अंधे,
लो इंसानियत का दमन हो गया है।

दीवारें खिचीं भाई-भाई के मन में,
बाप-बेटे का रिश्ता दफन हो गया है।

घर का भोजन स्वादिष्ट नहीं लगता,
रेस्टोरेंट-होटल, चमन हो गया है।

सरे राह लुटती है अबला की इज्जत,
देखो! धरती पर ये अमन हो गया है॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।