हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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बदल घिर आए हैं आसमान में,
अब इनका ही डेरा है
अब वह बरसेंगे,
बदरा छाए हैं आसमान में।
बादलों की यह उदारता,
मेघों की बरखा ने दस्तक दे दी है आसमान में
जमकर आई बरसात,
मोती-सी है यह बूँदें
अमृत बन बरस रही असमान में।
यही बारिश का अंदाज है,
तन-मन भी भीग गए
झूमकर आई बरसात,
आज पानी की हर एक बौछार,
जीवन को देती है संदेश।
गर्मी की तीव्रता को शीतल कर,
हार के बाद जीत की बात समझाती है।
क्योंकि बरखा ने,
दे दी है दस्तक असमान में…॥