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शिव परम-धुन, मेरी मन-धुन

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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शिव तुम संग लागी परम-धुन लागी,
तुम बैरागी बने हम भी बैरागी।

जोगी धरे वेश प्रभु सबसे विशेष हो,
सगरी माया तुमरे चरणों की दासी।

कानन में कुंडल हैं नैना विशाल हैं,
तुमरे दरश का है मन अभिलाषी।

ज्ञान से ना पा सुकूं ना वाणी से बता सकूं,
तुमरी हर लीला है कण-कण में व्यापी।

प्रेम से भजन करूं भक्ति से निभाऊँ,
मन में विराजो चाहे जग करे हांसी।

हँस-हँस पुकारुँ, कभी रो-रो पुकारूं,
तुम संग भव तर जाऊँ शिव अविनाशी।

श्रद्धा का आँचल कर शिव पिंडी भक्ति जल,
चढ़ाती है निसदिन ‘वंदना शिवदासी’॥