राधा गोयल
नई दिल्ली
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कोई जन्म से भगवान पैदा नहीं होता। वह मानव के रूप में ही जन्म लेता है और महान कार्यों से महामानव बन जाता है तथा कालान्तर में भगवान कहलाता है। हम लोगों के साथ एक बड़ी मुश्किल यह है कि, हम महामानवों को भगवान मानकर उनकी पूजा तो करते हैं, लेकिन उनके जैसे कर्म कभी नहीं करते। राम एक साधारण मनुष्य थे। अपने असाधारण कामों के कारण महामानव बने। बाद में लोगों ने उन्हें भगवान कहना शुरू किया।
आजकल एक धारावाहिक आ रहा है ‘श्री कृष्ण।’ उसमें बार-बार श्री कृष्ण को भगवान के रूप में दर्शाया जा रहा है, जो गलत है।तभी तो लोग राम या कृष्ण जैसे काम करने की कोशिश नहीं करते।उनका सीधा-सा कहना है कि, वो तो भगवान थे। अरे! भगवान तो हमने बनाया। पहले तो हम जैसे ही साधारण मनुष्य ही थे।
यह बात तो सभी जानते हैं कि, कृष्ण को योगीराज कहा जाता है। योगीराज वह…, जिसको भूत, भविष्य और वर्तमान की जानकारी हो। जो योग की सभी विद्याओं में पारंगत हो। सभी यह भी जानते हैं कि, श्रीकृष्ण कर्मयोगी थे। उचित समय पर उचित मार्गदर्शन देने में सक्षम थे। दिल और दिमाग दोनों से काम करते थे। हम सभी सुनते हैं कि, भगवान प्रेम के भूखे हैं…, भगवान प्रेम के प्यासे हैं, तो प्रेम का भूखा और प्यासा कौन नहीं होता ? हर कोई प्रेम और भाव का भूखा होता है। हर कोई प्रेम चाहता है। कृष्ण और राम के बारे में यही तो कहा जाता है-
“तुझमें राम, मुझमें राम, सबमें राम समाया,
सबसे कर ले प्यार जगत में, कोई नहीं है पराया।”
ब्रह्माण्ड में एक जीवात्मा है तो एक परमात्मा है। आत्मा नजर नहीं आती, अदृश्य होती है, जैसे हमें नहीं मालूम कि, मन का आकार कैसा है… उसका रंग कैसा है ? हमारे मन में असीमित विचार आते हैं। इतने विचार कि, पूरा भूमंडल उसमें समा जाए। हालांकि, इस जीवात्मा में इतना बड़ा मन तो नहीं हो सकता कि, उसमें पूरा भूमंडल समा सके। यह दिमाग नित्य नई कल्पनाओं की ऊँची-ऊँची उड़ान भरता है। न जाने कहाँ से कहाँ छलाँग लगाकर पहुँच जाता है। आकाश की असीम ऊँचाइयों तक पहुँच जाता है। जब हम साधारण लोगों के साथ ऐसा हो सकता है, तो असाधारण लोगों की तो बात ही क्या है।
अभी कुछ वर्ष पहले ही सबने देखा होगा कि, 3 वर्ष का बच्चा संस्कृत के श्लोकों का एकदम शुद्ध उच्चारण कर रहा था। कुछ वर्ष पहले एक और बच्चे को भी दूरदर्शन पर देखा होगा, जिसको चाणक्य नाम दिया गया। जो मुश्किल से मुश्किल प्रश्न का… प्रश्न पूरा करने से पहले ही उत्तर दे रहा था। ऐसे लोग होते हैं महान आत्मा।
कहते हैं ना… आत्मा अजर है, अमर है। यह मरती नहीं है। यह बार-बार जन्म लेती है। महान आत्माएँ पृथ्वी का भार हरण करने के लिए बार-बार जन्म लेती हैं। आज तो पृथ्वी अकुला रही है। जगह-जगह बाढ़… जल प्लावन… तूफान… आगजनी, कभी अफगानिस्तान युद्ध, कभी रूस- यूक्रेन युद्ध, श्रीलंका की तबाही, अमेरिका के अमेजन के जंगलों में एक ही साल में अनेक बार लगी आग, असम में आई भयंकर बाढ़, चीन की महत्वाकांक्षा और बर्बादी के मंजर देखने को मिल रहे हैं।
मनुष्य का लोभ और लालच इस कदर बढ़ गया है एवं विकास के नाम पर विनाश को निमंत्रण देकर उसने प्रकृति का इस कदर दोहन किया है कि, प्रकृति कराह रही है।
फिर से कोई कृष्ण आएगा और इस धरा को… आकाश को… नदियों को और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए लोगों का मार्गदर्शन करेगा। कालिया नाग का मर्दन करके नदियों को स्वच्छ रखने का मार्ग दिखाएगा। शठे- शाठ्यम की नीति सिखाएगा। आज हमारी सीमाओं पर जो आतंकवादी गतिविधियाँ हो रही हैं, उनके लिए कृष्ण नीति की बहुत जरूरत है।