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मंगल वत्थु छंद विधान

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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रचनाशिल्प: २२ मात्रा, प्रति चरण ११ वीं मात्रा पर यति हो, यति के दोनों ओर त्रिकल, चरणांत में गुरु अनिवार्य।…

मीत हवा ये नीर, शुद्ध हो विमल सभी।
पेड़ लगायें मेघ, बुलाएँ सँभल अभी।
धरा सुरक्षा नीर, सुरक्षा मदद करो।
पर्यावरणन सखे, सुरक्षण, सनद करो।
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धूम्र परत ओजोन, विनाशे कवच बड़ा।
उत्तर प्रहरी महा, हिमालय अटल खड़ा।
गंगा यमुना मात, सरीखी सरित बहे।
हो संरक्षण छंद, ‘विज्ञ’ ये विनय कहे।
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अपनी धरती सिंधु, गुमानी तरु नदियाँ।
अपनी खेती हरी, भरी हो शत सदियाँ।
सबका तन मन रहे, सजीवन रोग हरें।
धरा वायु जल नहीं, प्रदूषण लोग करें।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।