इंदौर (मप्र)।
बाल साहित्य बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी है। छोटी-छोटी कहानी, कविताओं से बच्चों में नैतिक संस्कार विकसित किए जाते हैं। वर्तमान समय में बच्चे मोबाइल की दुनिया में खो गए हैं। यही कारण है बच्चों में संस्कारों की कमी आई है।
जाने-माने साहित्यकार और कवि प्रयाग शुक्ल ने शेरिंग वर्ल्ड विद्यालय में एक सत्र को सम्बोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए। दिल्ली से आए श्री शुक्ल हिंदी साहित्य जगत में राष्ट्रीय शरद जोशी सम्मान, साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार व द्विजदेव सम्मान आदि से सम्मानित हो चुके हैं। अपने सहज विचार और अमूल्य मार्गदर्शन से आपने छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों पर अमिट छाप छोड़ी। अपनी प्रसिद्ध कविता ‘धम्मक धम्मक आता हाथी’ और अन्य कविताओं से उन्होंने बच्चों के अंदर के कवि को टटोला। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वह अपने मन की बातों को किस्से-कहानियों के रूप में जरूर लिखें। आपने बच्चों को कविताओं की पुस्तकें भेंट की। प्राचार्य प्राची कासलीवाल ने इनका स्वागत किया।