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देश की आन मेरा तिरंगा

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’
जयपुर (राजस्थान)
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देश की आन तिरंगा,
वतन की शान तिरंगा
इसकी खातिर वीरों ने दिया,
बलिदान जीवन का…।

भारत गणराज्य का प्रतीक तिरंगा,
तीन रंगों में लहराता तिरंगा
इसको हमने अपनाया था,
वो साल शुभ बड़ा था…।

१९४७ की वो चमक निराली थी, संविधान सभा में बैठे सब नर-नारी थे
केसरिया रंग साहस, त्याग बलिदान का,
जैसे विजय चंदन तिलक अभिमान का…।

सफेद चाँद पूर्णिमा का आके,
रंगा मध्य पवित्रता का शांति देता
कर्मों को हमारे सत्यता पर,
चलने से पूरा करता काम है…।

हरियाली चहुँ ओर हो,
नीचे धरा विशाल हो
रंग यह विश्वास प्रकट करता है,
समृद्धि का प्रतीक है…।

सफेद बादलों से मध्य बसा,
रंग सफेद सजा, नीले आकर्षित
आकाश रंग जैसे सिर उठे गगन ओर,
चौबीस तीलियाँ इसमें
निरंतर गति प्रगतिशील करें…।

एकता, संप्रभुता और अखंडता का प्रतीक,
गौरवान्वित होती, भारतीय जनता अनेक
नियम भी इसके कठोर, सरकारी विभागों में सजे-धजे,
आने वाला है पर्व वो, स्वतंत्रता दिवस देख…।

आज हम सब मिलकर बोलें,
सारे काज छोड़कर।
जय घोष दो पल को कर लें,
भारत भाग्य विधाता तेरी जय, तेरी जय॥