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भारत माता की पुकार

धर्मेंद्र शर्मा उपाध्याय
सिरमौर (हिमाचल प्रदेश)
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भारत माता पुकार रही,
मेरी सुरक्षा का भार उठा लो
नहीं देश को बांटने देना,
चाहे तो तलवार भाल उठा लो।

सतर्क रहकर मुझे बचाना,
इन कुर्सी के ठेकेदारों से,
वीर-धीर की इस धरती को,
बिकने ना देना गद्दारों से।

घर-घर को जो बांट रहे हैं,
बेच रहे मेरा दामन
मौन यदि तुम बने रहे तो,
छीन लेगा दुश्मन ये चमन।

लहुलुहान हुए थे जो वीर,
धरती की लाज बचाने को
याद रखो कुर्बानी उनकी,
जो मर-मिटे भारत की शान को।

देश सुरक्षित तो हम सब रक्षित,
नहीं तो गुलामी भरी दास्तान
याद करो बीता इतिहास,
झकझोरा था जिसने हिंदुस्तान।

स्वार्थ आज फैला जन-मन,
नहीं कहीं मिल रहा आराम
भागम-भाग चकाचौंध दुनिया,
अब भूल रही वीरों का त्याग।

अपना तन-मन अर्पण करके,
वीरों ने खुशहाल दे दिया संसार
स्वयं अंगारों में तप करके,
सुखद सपनों को किया सरकार।

याद रखना उन वीरों की गाथा,
जो देश के लिए दे गए थे जान।
अब तुम रक्षा का भार उठा लो,
हे भारत माता की यही पुकार॥