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कालखण्ड की सामाजिक जानकारी प्राप्त करने का माध्यम है साहित्य

कार्यशाला…

इंदौर (मप्र)।

भाषा एक नदी की तरह होती है। जैसे नदी में बारिश, तालाब, नाले सबका पानी मिलकर नदी का हो जाता है, किसी और का नहीं रहता। उसी तरह हिन्दी भी एक प्रवाहमान भाषा है, और हिन्दी में साहित्य लेखन करना मतलब आमजन की भाषा में लेखन करना है। सामाजिक जीवन के कालखण्ड में जो कुछ भी घटित हो रहा है, अथवा हुआ है, उसकी जानकारी हमें साहित्य के माध्यम से ही मिलती है।
यह बात प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. जवाहर चौधरी ने दूरदर्शन केंद्र इन्दौर द्वारा आयोजित तिमाही राजभाषा कार्यशाला के दौरान कही। इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ डॉ. चौधरी ने ‘हिन्दी में साहित्य लेखन’ विषय पर कहा कि, प्रश्न यह है कि हमें साहित्य लेखन करना ही क्यों है ? इसलिए कि, साहित्य समाज का दर्पण होता है। हिंदी भाषा में लेखन के लिए आवश्यक है कि हिन्दी साहित्य में रूचि रखने वालों के सम्पर्क में रहें, ताकि भाषा परिष्कृत होती रहे।
इससे पूर्व कार्यशाला के प्रारंभ में कार्यक्रम प्रमुख जयंत श्रीवास्तव दूरदर्शन इन्दौर द्वारा ९५ प्रतिशत कार्य हिन्दी में किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, शीघ्र ही हम इसें शत-प्रतिशत में बदल सकेंगे। केन्द्र के अभियांत्रिकी प्रमुख मुकुलराज वर्मा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। केन्द्र में किए जा रहे राजभाषा संबंधी कार्यों की जानकारी दी गई। संचालन श्रीमती निशा चतुर्वेदी ने किया। राजभाषा अधिकारी प्रवीण नागदिवे द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।