मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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तू सुन मत क्योंकि, तुझे ये दुनिया सुनाएगी,
तू रुक मत क्योंकि, तुझे ये दुनिया रुकाएगी
तू भयभीत मत हो क्योंकि, तुझे ये दुनिया डराएगी,
तू संयम रख क्योंकि, संयम शक्ति ही तुझे सक्षम बनाएगी
बस… तू हारना मत क्योंकि, तुझे ये दुनिया जीतने नहीं देगी।
तू मोम बन क्योंकि, तुझे ये दुनिया पत्थर बनाएगी,
तू हॅंस क्योंकि, तुझे ये दुनिया रुलाएगी
तू बोल कुछ ऐसा, जो तू लोगों को सुनाएगी,
तू चल कुछ ऐसे, जो रास्ता तू खुद बनाएगी
बस… तू हारना मत क्योंकि, तुझे यह दुनिया जीतने नहीं देगी।
तू सोच मत क्योंकि, दुनिया की सोच में तू ना समाएगी,
तू जितना ऊँचा उड़ेगी, दुनिया तुझे उतना नीचे गिराएगी
तुझ पर टीका-टिप्पणी कर, दुनिया अपनी लाज बचाएगी।
इन सबके बाद भी, तू सत्य और शांति बन दुनिया को राह दिखाएगी,
बस… तू हारना मत क्योंकि, तुझे ये दुनिया जीतने नहीं देगी॥
परिचय-मानसी श्रीवास्तव का लेखन क्षेत्र में ‘शिवन्या’ उपनाम है। इनका जन्म १८ नवम्बर १९९८ को मुम्बई (महाराष्ट्र) में हुआ है। वर्तमान में जिला पालघर (मुम्बई) स्थित नालासोपारा (पूर्व) में स्थाई निवास है। हिंदी, मराठी व अंग्रेजी जानने वाली ‘शिवन्या’ की पूर्ण शिक्षा बी.एड. एवं एम.ए. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। सामाजिक गतिविधि में पर्यावरण दिवस संबंधित मैराथन स्पर्धा से जुड़ी हुई हैं। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। पुस्तक प्रकाशन के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय साझा काव्य संकलन (२०२३) में ‘सक्षम भारत-सम्पन्न भारत’ कविता प्रकाशित है। इसी तरह कई रचनाएँ अखबारों में प्रकाशित हुई हैं। मानसी श्रीवास्तव की विशेष उपलब्धि विद्यालय में ‘शिक्षक दिवस’ पर विशेष सम्मान (आल राउंडर शिक्षा अवार्ड) मिलना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य समाज को जागरूक बनाना, सही जानकारी प्रदान करना तथा निष्पक्ष होकर सही मार्ग दिखाना है। ‘शिवन्या’ के पसंदीदा हिन्दी लेखक हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, अटल बिहारी वाजपेयी, स्वामी विवेकानंद और कुमार विश्वास हैं। इनकी दृष्टि में पिताजी द्वारा लिखी गई कविताएँ और विशेषत: डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा भी लिखित पुस्तक ‘द विंग्स ऑफ फायर’ प्रेरणादायी हैं। जीवन लक्ष्य पर कहना है कि, हिंदी भाषा को हमेशा सर्वप्रथम रखना, सभी को शिक्षा के लिए प्रेरित करना एवं शिक्षक होने के साथ-साथ भारत देश का एक अच्छा नागरिक बनना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार “हमारे भारत देश में हिंदी सबसे अधिक सम्माननीय भाषा है। इसलिए इस भाषा का सम्मान करना सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”