प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’
सहारनपुर (उप्र)
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हरि सों हरि-कृपा मांगो हरि-भजन को।
काटो न यूँ व्यर्थ समय देह-तजन को॥
चतुर बन हरि सों हरि को मांग लो,
न मिल पाए दान-पुण्य करो यजन को।
सुखों के चिंतन में सुख नाहीं सांची ये बतियाँ,
भजन न लूट लूटो माया के वजन को।
काम, क्रोध, लोभ मोह बनाते हैं मूरख,
ज्ञानी इन्हें छोड़ भागें ये घेरें अजन को।
भूलूं न एक पल भी तुमको कृपा करो शिव जी,
दे दो वो स्मृति मुझे दे दी जो गजन को।
हरि सों हरि-कृपा मांगो हरि-भजन को,
काटो न यूँ व्यर्थ समय देह तजन को॥
