मानसी श्रीवास्तव ‘शिवन्या’
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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शिक्षक समाज का दर्पण…
शिक्षक से शिक्षा है गुरु से गुरुकुल है,
नन्हें बीजों को सींचकर गुरु बनाते हैं उन्हें फूल है।
शिक्षा का अर्थ बताने ना जाने कितनों ने की लड़ाई,
शिक्षा का अधिकार दिलाने सावित्रीबाई फुले थी आगे आई।
मनुष्य के रूप में श्री राम व श्री कृष्ण ने ली थी शिक्षा,
अपने गुरुओं के मार्ग पर चलकर दी उन्हें गुरु दीक्षा।
आधुनिकता से भरे युग में आधुनिक हो गई है शिक्षा,
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भर दी इसमें नई ऊर्जा।
एक पालक की तरह होता है बच्चों का शिक्षक से लगाव,
वर्ष पर वर्ष बीतते हैं, परंतु नहीं छूटता है बच्चों से प्यार का भाव।
एक आदर्श शिक्षक बनकर विद्यार्थियों को मार्ग दिखाते हैं,
हर समय राही बनकर राह दिखाते हैं।
हर तरह के सवालों का अपने अनुभव से उत्तर बताते हैं,
धैर्य की परिभाषा सदैव शिक्षक बताते हैं।
सभी के जीवन में यह तीन बातें सर्वोपरि है,
माता-पिता व शिक्षक यह तीनों ईश्वर रूपी है।
एक शिक्षक होने के नाते मैं कहती हूँ सदैव यही बात,
निर्मल, सौम्य व दयालु बनें और सदा करें ज्ञान की बात॥